मैं हर रोज जिम करता हूं जिसके कारण मेरा शारीरिक सौष्ठव भी मस्त है। कोई भी लड़की मुझे देखते ही मेरे बारे में सोच कर अपनी चूत गीली कर लेती है। मैं राँची में जॉब करता हूं और किराए के मकान में रहता हूं।
मेरे पड़ोस में एक मस्त भाभी रहती हैं। उनका नाम अनिमा भाभी (काल्पनिक नाम) है। भाभी की फिगर की बात कहूँ तो उनका 38-32-40 का मदमस्त बदन देख कर किसी का भी सोता हुआ लंड तुरंत खड़ा हो जाएगा।
भाभी का भरा भरा कातिल फिगर और ऊपर से उनका दूध जैसा गोरा बदन आंह… उनके बारे में सोचते ही मैं उत्तेजित हो जाता हूं। दो बच्चे की मां होने के बाद भी भाभी की चूचियां एकदम सुडौल और तनी हुई हैं।
मैं हमेशा सोचता रहता हूं कि भाभी को कैसे चोदूं। भाभी के नाम से मैंने हजार बार से भी ज्यादा बार मुठ मारी होगी। एक दिन मेरी किस्मत खुल गई। दरअसल हमारे यहां हमेशा पानी की दिक्कत रहती है।
पिछले चार दिन से भाभी के बाथरूम में पानी नहीं आ रहा था। इस कारण से भाभी हर रोज मेरे बाथरूम में नहाने आ रही थीं। एक दिन भाभी बाथरूम में झुक कर कपड़े धो रही थीं।
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भाभी को चोदने के लिए होने लगी तड़प
उस समय भाभी के दोनों बड़ी बड़ी चूचियां ऐसे तनी हुई दिख रही थीं … मानो वो भाभी की नाईटी को फाड़ कर बाहर आ जाना चाह रही हों। इस नजारे को देखते ही मेरा लंड एकदम रॉड बन गया।
तभी अचानक से भाभी की नजरों ने मेरी नजरों को भांप लिया और उनको पता चल गया कि मैं उन्हें निहार रहा हूं। फिर मेरा खड़ा लंड देख कर भाभी शर्मा गईं और जल्दी जल्दी नहाकर मेरे घर से चली गईं।
मैं भी बाथरूम में आ गया और उस दिन मैंने भाभी के नाम से एक बार नहीं, तीन बार मुठ मारी। तब जाकर मेरा लंड शान्त हो पाया। दूसरे दिन भाभी कल के जैसे ही बाथरूम में झुक कर कपड़े धो रही थीं और उसी समय मुझे मूतने जाना था।
मैंने उनसे कहा, तो भाभी उठ कर खड़ी हो गईं और मैं उनके बाजू से अन्दर जाने लगा। जगह कम होने के वजह टॉयलेट में अन्दर जाते वक़्त भाभी की गांड के बीच मेरा लंड रगड़ गया।
भाभी की कोमल गांड के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया। भाभी सीधी खड़ी हो गईं और शर्म के मारे लाल हो गईं, फिर वो बाहर आ गईं। मैं दिन भर सोचता रहा कि भाभी को कैसे चोदा जाए।
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नंगी भाभी मिल गयी बाथरूम में
जब तक मैं भाभी की चूत न चोद लूं, तब तक मेरे लंड को आराम नहीं मिलने वाला था। दूसरे दिन मैं जब नहा रहा था, उसी वक्त मुझे किसी की आवाज सुनाई दी- ओम जरा इधर आइए ना! ये आवाज भाभी की थी।
मैंने जाकर देखा कि मेरे दूसरे बाथरूम में भाभी पूरी तरह नंगी बैठी थीं और बाहर की तरफ पीठ करके भाभी नहा रही थीं। भाभी ने मुझसे कहा- ओम … जरा मेरी पीठ को रगड़ दो … मेरा हाथ पीठ तक नहीं पहुंच रहा है।
ये सुनकर मेरे तो मानो होश ही उड़ गए थे। मैंने मन ही मन सोचा कि आज तो जन्नत का दीदार हो गया। मैं धीरे धीरे भाभी की नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा। आह … कितनी कोमल और चिकनी पीठ थी।
उनकी त्वचा एकदम रेशम सी लग रही थी। भाभी की पीठ में हाथ फेरते ही मेरे तन बदन में करंट दौड़ गया था और मेरा लंड बिजली के खंभे जैसा हो गया। भाभी मुझसे कहने लगीं- बड़ा अच्छा लग रहा है ओम … मेरी पूरी पीठ को ऐसे ही सहलाते रहो, बड़ा अच्छा लग रहा है।
भाभी की पीठ को सहलाते सहलाते मैं खुद को रोक नहीं पाया और मैंने अपना हाथ भाभी की बगल से आगे ले जाकर उनकी एक चूची को धीरे से प्यार से दबा दिया। भाभी कुछ नहीं बोलीं और आंख बन्द करके मादक सिसकारी भरने लगीं।
इससे मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी। मैंने दोनों हाथों से भाभी की बड़े बड़े चूचों को हौले हौले दबाना शुरू कर दिया। बीच बीच में मैं भाभी के निप्पलों को भी मसल रहा था। इससे भाभी और ज्यादा उत्तेजित होने लगीं।
मेरा लंड लोहे की रॉड से भी ज्यादा सख्त हो गया था जो भाभी की पीठ को चुभ रहा था। भाभी ने सिसकारी लेते हुए मुझे ‘आई लव यू ओम …’ बोला।
आगे की कहानी अगले भाग में